Lekhika Ranchi

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लोककथा संग्रह 2

लोककथ़ाएँ


चतुर राजकुमार : परी कहानी


एक समय की बात है। एक राजकुमार को देश-विदेशों में घूमना बहुत पसंद था। एक दिन उसने अपना एक विश्वसनीय सेवक अपने साथ लिया और अपने राज्य से चल दिया। वे दोनों चलते-चलते एक घने जंगल में पहुँच गए। काफी देर तक चलने पर भी उन्हें उस जंगल से बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला। धीरे-धीरे अँधेरा होने लगा, पर उन्हें रात बिताने के लिए वहाँ कोई घर भी नहीं दिखाई दिया। थोड़ी दूर और चलने पर पानी भरकर ले जाती हुई एक सुंदर सी लड़की उन्हें मिली। उस राजकुमार को कुछ राहत मिली। अपना घोड़ा उस लड़की के सामने रोककर उसने पूछा, 'क्या मैं और मेरा सेवक एक रात आपके घर में गुजार सकते हैं?'

लड़की ने बड़ी मायूसी से जवाब दिया, 'हाँ, आप लोग यहाँ रात गुजार सकते हैं, पर मैं आपको इसकी सलाह नहीं दूगी कि आप इस घर के अंदर जाएँ।'

राजकुमार ने पूछा, 'ऐसी कौन सी बात है, जो आप मुझे इस घर में जाने से रोक रही हैं?' लड़की ने एक गहरी साँस ली और बोली, 'मेरी सौतेली माँ रात में कुछ जादू का काम करती है। उसे यह पसंद नहीं है कि कोई अजनबी रात्रि के समय उसके घर में आए।'

राजकुमार को लगा कि वह सचमुच एक जादूगरनी के घर पहुँच गया है; पर रात के अंधेरे में उस घने जंगल में किसी और जगह ठहरना भी खतरे से खाली नहीं था। अतः उसने सोचा कि अगर मैं जंगल में बाहर रहूँगा तो भी मरने का डर है और अगर इस लड़की के घर में रहँगा तो भी मौत का डर है। तो क्यों न मैं यहीं पर रात गुजारूँ। जब राजकुमार ने उस लड़की के घर में ही रात गुजारने की विनती की तो उस लड़की ने उसे चेतावनी दी कि उसकी माँ का दिया हुआ न खाना खाए और न ही कुछ पिए। रात में केवल सोकर वह सेवक सहित तड़के ही यहाँ से निकल जाएँ।

राजकुमार उस लड़की की बात पर राजी हो गया। जैसे ही राजकुमार और उसका सेवक उस छोटे से अँधेरे घर में घुसे, उन्हें एक कोने में आग जलती हुई दिखाई दी। आग के सामने एक औरत बैठी हुई थी, जिसकी लाल-लाल आँखों से गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। राजकुमार और उसके सेवक ने उस औरत को नमस्कार किया, तो उसने उन दोनों को एक कोने में बिछे हुए बिस्तर पर बैठने के लिए कहा। राजकुमार चुपचाप बिस्तर पर और उसीके पास जमीन पर उसका सेवक बैठ गया। उस औरत ने उन्हें जब कुछ खाने के लिए दिया तो दोनों ने यह कहकर मना कर दिया कि उन्हें भूख नहीं है। वे थके हुए हैं और जल्दी ही सोना चाहते हैं। दोनों शांति से सो गए और सुबह जल्दी उठकर चलने की तैयारी करने लगे। जैसे ही राजकुमार अपने घोड़े पर सवार हुआ वैसे ही वह जादूगरनी बाहर निकल आई और बोली, 'मैं तुम्हारे जाने से पहले कुछ पीने के लिए लाती है। तम दोनों मेरी प्रतीक्षा करो।'

जैसे ही वह जादूगरनी अंदर गई, राजकुमार अपने घोड़े को उस घर से दूर ले गया, पर उसका नौकर अपने घोड़े की काठी ठीक करने में लगा हुआ था। जब वह औरत हाथ में दो गिलास लेकर उस सेवक के पास पहुँची तो राजकुमार को वहाँ न देखकर उस सेवक से बोली, 'लो, इस गिलास का शरबत तुम पी लो और दूसरा गिलास अपने मालिक के लिए ले जाओ।'

जैसे ही सेवक ने दोनों गिलास पकड़ना चाहा वैसे ही घोड़े ने हिनहिनाना शुरू किया। अतः दोनों गिलास छूटकर उसी घोड़े पर गिर गए और देखते-ही-देखते घोड़ा वहीं ढेर हो गया। सेवक यह सबकुछ देखकर बहुत डर गया और अपने मालिक के पास दौड़ गया। राजकुमार कुछ दूरी पर उसी का इंतजार कर रहा था। उसने शरबत वाली बात राजकुमार को बतलाई, तो उसने भगवान् को लाख-लाख धन्यवाद दिया कि उसने आज उन दोनों की जान बचा ली; पर राजकुमार का सेवक अपने घोड़े की काठी को छोड़कर नहीं जाना चाहता था, क्योंकि अगर दूसरा घोड़ा भी ले तो उन्हें ऐसी काठी कहीं और नहीं मिल सकती थी। राजकुमार का सेवक जब अपनी काठी लेने के लिए वापस गया तो उस घर का दरवाजा बंद था, पर उसके मरे हुए घोड़े को गिद्ध खा रहा था। सेवक ने अपनी तलवार से उस गिद्ध को मार दिया। काठी और मरा हुआ गिद्ध लेकर वह राजकुमार के पास पहुँच गया। अब दोनों एक ही घोड़े पर चलकर जंगल से बाहर जाने का रास्ता ढूँढ़ने लगे। चलते-चलते रात होने लगी, तो उन्हें एक घर से कुछ रोशनी आती हुई दिखाई दी। जब वे दोनों उस घर के सामने पहुंचे तो उन्हें पता लगा कि जंगल के आखिरी कोने पर एक सराय थी। सेवक ने यह गिद्ध उस सराय के मालिक को पकाने के लिए दिया। उसी समय उस सराय में बारह डाकुओं का एक दल खाना खाने के लिए आया, तो सराय के मालिक ने उसी गिद्ध का सूप तैयार करके उन्हें पेश किया और थोड़ा सा अपने लिए भी रख लिया।

डाकुओं ने जैसे ही यह सूप पिया सभी वहीं पर लुढ़क गए और रसोई में सराय का मालिक भी। सराय के मालिक की बेटी वहाँ पर जीवित बची थी। उसने डाकुओं द्वारा लूटा हुआ धन इन दोनों को अपने साथ ले जाने के लिए कहा, पर राजकुमार बोला, 'ये सारा खजाना तुम अपने पास रखो। हमें इसकी जरूरत नहीं है।' और सुबह होने से पहले ही दोनों उस सराय से निकल पड़े। चलते-चलते उन्हें उस जंगल से बाहर निकलने का रास्ता मिल गया। कई दिनों तक चलने के बाद वे एक ऐसी नगरी में पहुँचे जहाँ की राजकुमारी ने ऐलान करवा रखा था कि कोई उससे ऐसी पहेली पूछे, जिसका हल वह न ढूँढ़ सके, तो वह उस पहेली पूछनेवाले को ही अपना पति बनाएगी और अगर उसने उस पहेली का हल ढूंढ लिया तो उस पहेली पूछनेवाले को मौत को गले लगाना होगा। इस राजकुमारी से शादी करने के लालच में कई नौजवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इस राजकुमार ने भी जब लोगों से उस राजकुमारी की सुंदरता के बारे में सुना तो उसने भी उससे एक पहेली पूछने की सोची। उसने राजमहल जाकर अपनी इच्छा व्यक्त की। राजकुमारी उसकी पहेली का उत्तर देने के लिए तुरंत तैयार हो गई। उस राजकुमार की पहेली थी वह कौन सी चीज है, जिसने एक को भी नहीं मारा, फिर भी बारह को मार दिया।' राजकुमारी ऐसी पहेली सुनकर बहुत परेशान हो गई। उसने अपनी सारी किताबें पढ़ डाली, पर उसे उस पहेली का जवाब नहीं मिला। राजकुमार ने उसे इस पहेली का उत्तर ढूँढ़ने के लिए तीन दिन का समय दिया था। अगली रात उसने अपनी विश्वसनीय सेविका को चुपचाप उस राजकुमार के कमरे में भेजा कि कहीं सोते-सोते नींद में वह राजकुमार खुद ही इस पहेली का उत्तर दे दे।

जैसे ही सेविका बिना कुछ सुने कमरे से बाहर निकल रही थी, राजकुमार के सेवक ने उसका बुरका पकड़कर रोकना चाहा, पर उसका बुरका खिंच गया। सेविका चुपचाप रात के अंधेरे में मुंह छुपाकर राजकुमारी के पास भाग गई। दो दिन बीतने पर भी राजकुमारी को इस पहेली का उत्तर नहीं मिला, तो उसने खुद ही राजकुमार के कमरे में चुपचाप रात में जाकर उससे इस पहेली का उत्तर सुनने की बात सोची। राजकुमार को इस बात का अनुमान था। वह सोने का बहाना करके अपने कमरे में लेट गया। आधी रात में नीला बुरका पहनकर राजकुमारी चुपके से उसके कमरे में घुसी और पूछने लगी, 'वह कौन सी चीज थी, जिसने एक को भी नहीं मारा।' राजकुमार ने जवाब दिया, 'एक गिद्ध, जिसने जहर से मरे एक घोड़े को खाया और उसी जहर से खुद मर गया।' राजकुमारी ने फिर पूछा, 'तो फिर उसने बारह को कैसे मार दिया?' राजकुमार बोला, 'क्योंकि बारह डाकुओं ने उस जहरीले गिद्ध को खाया था और खाते ही मर गए।'

जैसे ही राजकुमारी को अपनी पहेली का जवाब मिला वह जल्दी से कमरे के बाहर निकलने लगी। तभी राजकुमार ने उसका नीले रंग का मखमली बुरका खींच लिया। राजकुमारी बुरका छोड़कर भाग गई। अगले दिन उसने अपने राज्य के पाँच जजों को पहेली का उत्तर देने के लिए बुलवाया। जैसे ही उसने पहेली का सही उत्तर राजकुमार को सुनाया, वैसे ही उसने राजकुमारी का नीला बुरका उन जजों के सामने रख दिया और उन्हें बताया कि कल राजकुमारी खुद इस पहेली का हल ढूँढ़ने के लिए उसके कमरे में आई थी और उसने जानबूझकर उसे इस पहेली का हल बतलाया था। बुरके का सबूत उसकी बात को सच सिद्ध कर रहा था। अंततः राजकुमारी को उसी राजकुमार से विवाह करना पड़ा।

(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)

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साभारः लोककथाओं से।


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